भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के बारे में कुछ रोचक तथ्य
जो आप नहीं जानते होंगे
1.हर नोट पर RBI के गवर्नर का सिग्नचेर इसलिए जरूरी होता है क्योंकि बैंकिग सिस्टम पर किसी भी करंसी की वैल्यू तभी मानी जाती है जब उस पर रिजर्व बैंक के गवर्नर का सिग्नचेर हो। गवर्नर के सिग्नचेर का मतलब होता है वह रिपब्लिक ऑफ इंडिया की सरकार की तरफ से देश की जनता को यह वचन देते हैं कि वह उस करेंसी पर दर्ज वैल्यू के बदले उतने मूल्य की खरीदारी कर सकता है।
2. RBI के इतिहास में 2 गवर्नर ऐसे भी रहे जो कभी नोटो पर हस्ताक्षर नही कर पाए। इनके नाम थे,के जी अंबेगाओंकर और ओसबोर्न आरकेल स्मिथ।
3.आरबीआई बैंकिंग से जुड़े अन्य दूसरे कामों का संचालन करता है। यही वजह है कि रिजर्व बैंक को ‘बैंकों का बैंक’ कहा जाता है।
4. भारत में केंद्रीय बैंक यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई)की स्थापना हिल्टन यंग कमिशन की रिपोर्ट के आधार पर की गई थी।
5. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया सिर्फ करंसी नोटों की छपाई करता है। जबकि, सिक्कों को बनाने का काम भारत सरकार के द्वारा किया जाता है।
6. रिजर्व बैंक ने 5,000 और 10,000 रुपए मूल्य वर्ग के नोटों की छपाई साल 1938 में की थी। इसके बाद 1954 और 1978 में भी इन नोटों की छपाई की गई थी।
7. RBI का एक नियम ये भी है कि यदि 1 से 20 रूपए तक का कोई नोट 50 फीसदी से कम फटा है तो बैंक आपको पूरे पैसे देगा लेकिन 50 फीसदी से ज्यादा फटा है तो आपको कुछ नही मिलेगा। बड़े नोटो में यह सीमा 40 और 60 फीसदी हो जाती है।
8. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के देशभर में 29 ऑफिस हैं। इसमें से अधिकांश ऑफिस राज्यों की राजधानी में है
9. मनमोहन सिंह अकेले ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं, जो कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर के पद पर कार्य कर चुके हैं।
10. भारत के अलावा रिजर्व बैंक दो अन्य देशोंपाकिस्तान और म्यांमार के सेंट्रल बैंक के रूप में अपनी भूमिका निभा चुका है। आरबीआई ने जुलाई 1948 तक पाकिस्तान और अप्रैल 1947 तक म्यांमार (वर्मा) के सेंट्रल बैंक के रूप में काम किया।
11. RBI के पास इतनी पावर है कि वह 1,000₹ तक के सिक्के और 10,000₹ तक के नोट छाप सकता है।
12. . रिजर्व बैंक का गठन एक निजी संस्था के रूप में 1 अप्रैल, 1935 को किया गया था, लेकिन अब यह एक सरकारी संस्था है। इस केंद्रीय बैंक का राष्ट्रीयकरण साल 1949 तक नहीं हो सका था।
13. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का logo ईस्ट इंडिया कंपनी की डबल मोहर को देखकर बनाया गया था, जिसमें बस थोड़ा-सा बदलाव किया गया है।
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