मुझे इश्तिहार सी लगती हैं,
ये मोहब्बतों की कहानियाँ
जो कहा नहीं, वो सुना करो,
जो सुना नहीं, वो कहा करो।

प्यार का बदला कभी चुका न सकेंगे,
चाह कर भी आपको भुला न सकेंगे,
तुम ही हो मेरे लबों की हँसी... तुमसे
बिछड़े तो फिर मुस्कुरा न सकेंगे।

तेरे शहर में आ कर बेनाम से हो गए,
तेरी चाहत में अपनी मुस्कान ही खो गए,
जो डूबे तेरी मोहब्बत में तो ऐसे डूबे,
कि जैसे तेरी आशिक़ी के गुलाम ही हो गए।
उसके लिये तो मैंने यहाँ तक दुआएं की है,
कि कोई उसे चाहे भी तो बस मेरी तरह चाहे।

तेरे रंग में ऐसे रंगीन हो गए हैं हम,
कि तेरे बिना जिंदगी के रंग फीके लगेंगे।
गुलाब के फूल को हम कमल बना देते,
आपकी एक अदा पर कई गजल बना देते,
आप ही हम पर मरती नहीं... वरना आपके
घर के सामने ताजमहल बना देते।
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