गढ़ कुंडार किला: इतिहास, रहस्य और बौना चोर की अनसुनी कहानी
मध्य प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र अपने किलों और वीरता की कहानियों के लिए हमेशा से प्रसिद्ध रहा है। इन्हीं में से एक है गढ़ कुंडार किला, जिसे लोग “बौना चोर का किला” भी कहते हैं। करीब 1000 साल पुराना यह किला न सिर्फ अपनी मजबूत दीवारों और रणनीतिक डिज़ाइन के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी रहस्यमयी कहानियाँ और लोककथाएँ इसे भारत के सबसे अनोखे किलों में शामिल करती हैं।
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🏹 गढ़ कुंडार किले का परिचय
गढ़ कुंडार किला, मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले में स्थित है और यह बुंदेलखंड के प्राचीनतम किलों में से एक है। इसे 10वीं सदी में चंदेल राजा यशोवर्मन ने बनवाया था। पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह किला उस समय सामरिक सुरक्षा का प्रमुख केंद्र था, जहाँ से पूरे इलाके पर नज़र रखी जा सकती थी।📜 ऐतिहासिक सफर: चंदेल से बुंदेला तक
चंदेल और चौहान शासन
शुरुआत में चंदेल राजाओं का इस पर अधिकार था। बाद में 1182 में पृथ्वीराज चौहान ने इसे जीता और केशरी सिंह खंगार को यहाँ का शासक बनाया।
खंगार राजवंश का स्वर्णकाल
खंगार वंश ने किले को और मजबूत बनाया और कई नई इमारतें, गुप्त मार्ग और मंदिरों का निर्माण कराया। इस समय गढ़ कुंडार बुंदेलखंड का शक्तिशाली गढ़ माना जाता था।
बुंदेला शासन और राजधानी का परिवर्तन
14वीं शताब्दी में बुंदेला वंश ने इसे अपने कब्जे में लिया। बाद में रुद्र प्रताप सिंह बुंदेला ने राजधानी को औरछा स्थानांतरित कर दिया, जिससे किले का राजनीतिक महत्व कम हो गया, लेकिन इसकी ऐतिहासिक छाप आज भी कायम है।
🏯 रहस्यमयी बनावट: पाँच मंजिलों की भूलभुलैया
गढ़ कुंडार किला अपनी अनूठी डिजाइन के लिए प्रसिद्ध है:
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पाँच मंजिलें – इसमें तीन मंजिलें ऊपर और दो मंजिलें भूमिगत हैं।
भूलभुलैया जैसा निर्माण – संकरी गलियाँ, गुप्त दरवाजे और घुमावदार रास्ते इसे ऐसा बना देते हैं कि कोई भी आसानी से रास्ता भटक सकता है।
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दूर से दिखना, पास आते ही गायब होना – आसपास की पहाड़ियाँ और डिज़ाइन इसे दूर से तो दिखाती हैं, लेकिन नज़दीक पहुँचने पर यह छिप जाता है।
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जल प्रबंधन प्रणाली – विशाल पानी के टैंक और कुएँ इस बात का प्रमाण हैं कि किला लंबे समय तक घेराबंदी झेल सकता था।
👤 बौना चोर की दास्तान
गढ़ कुंडार किला “बौना चोर का किला” क्यों कहलाता है, इसकी कहानी बुंदेलखंड की लोककथाओं में मिलती है।
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एक चोर था जिसकी ऊँचाई लगभग 3.5 फुट (52 अंगुल) थी।
वह अमीरों से चोरी करता और गरीबों में बाँट देता, इसलिए लोग उसे बुंदेलखंड का रॉबिनहुड कहते थे।
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कहा जाता है कि इस चोर ने किले के अंदर कई जगह खुदाई करवाई और खजाने की खोज में गुप्त मार्गों का इस्तेमाल किया।
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उसके कारनामों के चलते यह किला “बौना चोर का किला” नाम से मशहूर हो गया।
❌ मिथक बनाम सत्य
कुछ लोग मानते हैं कि किले की पाँच मंजिलें सिर्फ बौने लोगों के लिए बनाई गई थीं, लेकिन इतिहासकारों के अनुसार यह पूरी तरह से मिथक है। वास्तव में, यह डिज़ाइन सैन्य सुरक्षा और गुप्त संचालन को ध्यान में रखकर बनाई गई थी, न कि किसी विशेष कद-काठी के लोगों के लिए।
👻 रहस्य और लोककथाएँ
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बारात का गायब होना – एक कहानी के अनुसार, करीब 70 लोगों की बारात भूमिगत गलियों में गई और कभी बाहर नहीं आई।
अजीब आवाजें – रात में रहस्यमयी आवाजें और कदमों की आहट सुनाई देने की बातें आज भी लोग बताते हैं।
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खजाने की अफवाहें – कहा जाता है कि किले में अभी भी सोने-चाँदी का खजाना छिपा है, लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं मिला।
🎉 सांस्कृतिक महत्व और पर्यटन
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यहाँ समय-समय पर स्थानीय मेले और धार्मिक आयोजन होते हैं।
बुंदेलखंड की लोकगीतों और कहानियों में इस किले का जिक्र मिलता है।
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यह जगह फोटोग्राफी, फिल्मांकन और एडवेंचर टूरिज़्म के लिए बेहतरीन है।
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मध्य प्रदेश सरकार इसे पर्यटन [MP Tourism]केंद्र के रूप में विकसित कर रही है।
🛣️ गढ़ कुंडार किला कैसे पहुँचें
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नजदीकी शहर: निवाड़ी (20 किमी), झांसी (60 किमी)
रेलवे स्टेशन: झांसी या चिरगांव
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सड़क मार्ग: झांसी या टीकमगढ़ से बस या निजी वाहन द्वारा पहुँचा जा सकता है।
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समय: सुबह 8 बजे से शाम 8 बजे तक (शनिवार को बंद)
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सर्वश्रेष्ठ समय: अक्टूबर से मार्च
✍️ निष्कर्ष
गढ़ कुंडार किला सिर्फ एक ऐतिहासिक धरोहर नहीं, बल्कि यह वीरता, रहस्य और लोककथाओं का संगम है। "बौना चोर का किला" नाम से जुड़ी कहानी इसे और भी आकर्षक बनाती है। इसकी संकरी गलियों में चलते हुए आपको ऐसा लगेगा मानो इतिहास और रहस्य की परछाइयाँ आपके साथ चल रही हों।
अगर आप इतिहास प्रेमी हैं या रहस्यमयी जगहों की खोज में निकलते हैं, तो बुंदेलखंड का यह किला आपकी यात्रा को अविस्मरणीय बना देगा।
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